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पिछले कुछ दिन बीजेपी के लिए काफी अच्छे और आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के लिए काफी बुरे गुजरे. जहाँ हर रोज कोई न कोई विपक्षी दल का नेता बीजेपी में शामिल हो रहा है तो वहीँ क्षेत्रीय पार्टियां भी बीजेपी को समर्थन देने के लिए लालायित हो रही हैं चाहे वो रामविलास पासवान हों, राज ठाकरे हो या गोरखा जन मुक्ति मोर्चा. उगते सूरज को तो सभी सलाम करते है इसलिए सभी पार्टी चुनाव के बाद अपना भविष्य बीजेपी में देख रही है. जहाँ तक कांग्रेस की बात है तो वे तो चुनाव से पहले ही हथियार डालते दिखाई दे रहे हैं और बीजेपी को रोकने की उम्मीद उन्हें सिर्फ केजरीवाल से थी लेकिन पिछले कुछ दिनों में केजरीवाल की पार्टी की जो दशा हुई है उससे कांग्रेस की ये उम्मीद भी ख़त्म ही लग रही है.
पिछले दो दिनों से सोशल साइट्स और You -Tube पर छाये विडियो में केजरीवाल व आज तक चैनल के सीनियर रिपोर्टर पुण्य प्रसून वाजपेयी इंटरव्यू के बाद इंटरव्यू की एडिटिंग से सम्बंधित सेटिंग करते दिखायी व सुनाई दे रहे हैं. इस विडियो में दोनों के दोनों कितनी बेशर्मी से शहीद भगत सिंह के नाम का इस्तेमाल अपनी गन्दी राजनीती के लिए कर रहे हैं. केजरीवाल इस बात को बार बार कहते हैं कि मीडिया बिकी हुई है लेकिन इस विडियो ने ये भी साफ़ कर दिया है कि मीडिया किस के हाथ बिकी है. केजरीवाल लोगों से बहुत सवाल करते हैं कभी गुजरात जाकर मोदी से तो कभी कांग्रेस से. लिस्टें भी बहुत जारी की हैं देश के भ्रष्ट नेताओं की. लेकिन अब जब कोई उनसे पूछता है कि इस विडियो क्लिप के बारे में उनका क्या कहना हैं तो वे चुपचाप निकल लेते हैं और मीडिया से सेटिंग करना क्या भ्रष्टाचार नहीं है. अब इस बात में कोई संदेह नहीं है कि केजरीवाल को आम आदमी से कोई सरोकार नहीं है वो भी अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं और मुख्यमंत्री पद से अपने इस्तीफे को शहादत का रंग देना चाहते थे. वैसे भी आप पार्टी में बगावत के सुर सुनाई पड़ रहे हैं. आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले ही आम आदमी पार्टी ने अपनी कब्र खोद ली है और लगता है चुनाव से पूर्व ही आम आदमी पार्टी अपने ही पाप में दफ़न होकर समाप्त हो जायेगी. (विशाल पंडित)
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