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श्रीमान मंत्री जी कि भैंस क्या चोरी हुई कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया व आम जन से लेकर ख़ास तक सभी कि जुबान पर मंत्री जी की भैंस का जिक्र था. हो भी क्यों ना हमारे देश में बेशक कोई गरीब आदमी फुटपाथ पर सोता हुआ सर्दी से मर जाये पर जन प्रतिनिधि का कुत्ता तो मखमली रजाई में सोता है. और एक कहावत भी है न कि भगवान का तो गधा भी हलवा खाता है.
खैर मामला मंत्री जी कि भैंस चोरी होने का था तो पुलिस को तो जबर्दस्त कार्यवाही करनी ही थी बेशक वे पुलिस वाले किसी रेप पीड़िता की रिपोर्ट तक दर्ज ना करते हों. और जैसे कि उम्मीद थी पुलिस ने स्निफर डॉग स्क्वाड व क्राइम ब्रांच कि मदद से ३६ घंटों के अंदर ही मंत्री जी कि भैंसों को खोज निकला. चूँकि भैंस मंत्री जी की चोरी हुई थी तो पुलिस वालों को सजा भी मिलनी तय थी और मिली भी. कानून व्यवस्था का सवाल जो था.
अब नंबर था मंत्री जी के बोलने का. मंत्री जी बोले और सुर्खियां न बने ऐसा तो हो ही नहीं सकता ये तो वे मंत्री हैं जो ना भी बोले तो फ़साना बन जाता है.. मंत्री जी का कहना है कि महारानी विक्टोरिया से मशहूर तो उनकी भैंसें हैं. शुक्र है महारानी विक्टोरिया जिन्दा नहीं है अन्यथा मंत्री जी अपनी भैंसों और विक्टोरिया जी के बीच एक ब्यूटी कांटेस्ट जरूर करवा देते और इस ब्यूटी कांटेस्ट में उनकी भैंसों का जितना भी तय था आखिर मंत्री जी कि भैंस जो है. मंत्री जी के अनुसार उन्हें रस्क होता हैं अपनी भैंसों के नसीब पर कि उनका नसीब भी उनकी भैंसों जैसा होता. पर आम जनता का ऐसा नसीब कहाँ. पर आम जनता का ऐसा नसीब होता तो जरूर देश का उद्धार हो गया होता.
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