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पता नहीं राहुल गांधी कांग्रेस का तुरुप का इक्का हैं या गले की हड्डी. बेचारे जब भी मुहं खोलते हैं तो अपनी और कांग्रेस पार्टी की फजीहत करवा बैठते हैं. अब एक इंटरव्यू के दौरान गए थे नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगो में लपेटने खुद १९८४ दंगों में लिपट कर आ गए. ऐसे ही एक बार इंदौर रैली के दौरान मुज़फ्फरनगर दंगों पर बयां दे कर मुश्किल में आ गए थे. कभी आस्तीन ऊपर चढ़ाते हैं तो कभी अध्यादेश फाड़ते हैं. कोई राहुल जी को समझाए गांधी वंशज होने का इतना भी फायदा न उठाये. पिछले दो लोकसभा में उनकी सरकार थी पर वे कहीं नजर नहीं आये लेकिन जैसे ही चुनाव नजदीक आये युवराज तो युवराज ने दागी मंत्रियो वाले अध्यादेश को फाड़ दिया और रियायती सिलिंडर कि संख्या को भी ९ से १२ करवा दिया. लेकिन इससे एक बात तो साफ़ है कि राहुल जी कि कम से कम कांग्रेस पार्टी में तो काफी रौब है.
सोनिया जी ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित न करके राहुल जी को फजीहत से तो बचा लिया पर राहुल जी हैं कि अपनी और अपनी पार्टी कि फजीहत खुद ही करवा रहे हैं.
अब राहुल जी को ये समझ लेना चाहिए कि गुजरात दंगों की वजह से नरेंद्र मोदी को बदनाम करना छोड़ देश के बारे में सोचना चाहिए. अब जबकि कोर्ट ने भी मोदी जी को क्लीन चिट दे दी है तो बार बार गुजरात दंगों को उठाना बंद करना चाहिए. राहुल जी को संभल जाना चाहिए अन्यथा अपनी पार्टी की हालत बद से बदतर करवा बैठेंगे.
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